राजस्थान में लंपी रोग के कारण पशुओं की लगातार हो रही है मौत। जिससे पशुपालकों में चिंता लगातार बढ़ रही है। पिछले 10-15 दिन से लगातार गायों की मौत होंने से स्थिति बेकाबू हो गई। अब तो लोगों ने भी पशुपालन विभाग के इंतजाम पर भी सवाल उठाना शुरू कर दिया है। लंपी रोग के कारण पशुओं के त्वचा पर गांठे उभर आती है और साथ में ही तेज बुखार आती है। बुखार के कारण बाद में पशुओं को सांस लेने में भी दिक्कत होती है। इसके बाद पशुओं की जान बचाना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता हैं।
लंपी रोग से बचाने के लिए आपको अपने पशुओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जिन पशुओं को पहले से संक्रमण हो रखा है उनके पास दूसरे पशु को नही रखना चाहिए है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अभी तक इंसानों में नहीं फैलता है।
अभी तक सरकार द्वारा टीकाकरण को लेकर कोई तैयारी नहीं
जहां एक ओर लंपी रोग के कारण पशुओं की मौत हो रही है और साथ में ही से पशुपालकों की नींद उड़ गई। जबकि पशुपालन विभाग अभी तक केवल सर्वे में अटका हुआ है। संक्रमित पशुओं के टीकाकरण को लेकर पशुपालन विभाग द्वारा अभी तक कोई तैयारी नहीं दिख रही है। इस लोगों द्वारा पशुपालन विभाग की लापरवाही भी कहा जा रहा है और साथ लगातार पशुओं की मौत हो रही है। अब तक सीकर जिले में 18 पशुओं की मौत हो गई।
डाॅक्टरों के मैंने तो लंपी रोग से सबसे अधिक देशी नस्ल की गायें प्रभावित हो रही है। जो पशुओं कमजोर होते हैं उनको सबसे पहले यह रोग अपने चपेट में ले रहा है।
प्रदेशभर के काफी हिस्सों में लंपी रोग के कारण पशुओं की लगातार मौत हो रही है। यह रोग पशुपालकों के लिए बढ़िया आफत बन कर सामने आ रही है। सीकर के दांतारामगढ़ में 30 से अधिक गोवंश इसके चपेट में आ गए है। बीमारी की रोकथाम को लेकर दातारामगढ़ एसडीएम राजेश मीणा ने गौशाला संचालकों को बीमारी के बचाव को लेकर जागरूक रहने को कहा है। अब तो पंचायत से लेकर शहरों में भी लंपी रोग को लेकर सर्वे किए जा रहे हैं। लेकिन पशुपालन विभाग के द्वारा अभी तक कोई इंतजाम नहीं किया गया। इसी की वजह से पशुपालन विभाग पर इंतजाम को लेकर लगातार सवाल उठ रहे है।